इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महानिदेशक बेसिक शिक्षाको अध्यापकों से अध्यापन कार्य ही लिए जाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि राज्य के लिए अतिरिक्त कार्य लेना जरूरी हो तो वह अध्यापन कार्य को प्रभावित किए बगैर ही लिया जाए। इसी के साथ कोर्ट ने खेल, स्काउट आदि कार्य के लिए प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए अध्यापकों को उनके मूल पद पर अध्यापन कार्य के लिए वापस बुलाने के आदेश को सख्ती से लागू करने का निर्देश देते हुए कहा है कि अध्यापकों को गैर शैक्षिक कार्य नलेने के लिएतत्काल आदेश जारी किए जाएं।
कोर्ट ने महानिदेशक बेसिक शिक्षा के प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए सभी अध्यापकों को उनके मूल पद पर भेजने के सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को जारी आदेशपर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और कहा कि अध्यापकों से अध्यापन के सिवाय अन्य कार्यन लिया जाए। जिस पद पर उनकी नियुक्ति की गई है, उनसे वही कार्यलिया जाए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्राथमिक कर्तव्य (अध्यापन कार्य) के बादहीजरूरी होने पर उनसे अतिरिक्त कार्य लिया जाए।
मामले के तथ्यों के अनुसारयाचीको 13 जुलाई 2017 को प्रधानाध्यापक पद से व्यायाम शिक्षक पद पर प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया। 19 जनवरी 2021 को महानिदेशक बेसिक शिक्षा ने सभी बीएसए को निर्देश दिया कि प्रतिनियुक्ति पर तैनात अध्यापकों को कार्यमुक्त कर उनके मूल शैक्षिक पदों पर भेजा जाए। याची को व्यायाम शिक्षक कार्य के लिए 300 रुपये प्रतिमाह अतिरिक्त भत्ता प्रदान किया जा रहा था। याचिका पर सुनवाई के दौरान महानिदेशक ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश के 75 जिलों के 880 ब्लॉक में 3405 जूनियर हाईस्कूल के सहायक अध्यापकों को एकेडमिक रिसर्च पर्सन व की रिसोर्स पर्सन पद पर तैनात किया गया है।