दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- बीमारी को छिपाकर विवाह करना धोखा, रद्द की 16 साल पुरानी शादी


महिला ने दावा किया कि उसे कभी कोई मानसिक या शारीरिक बीमारी नहीं हुई है. कोर्ट ने उन्हें मेडिकल बोर्ड से जांच करवाने को कहा. लेकिन महिला ने मेडिकल टेस्ट कराने से भी इनकार कर दिया. याचिका में शख्स ने कहा कि उनकी शादी 10 दिसंबर, 2005 को हुई थी. उन्होंने आरोप लगाया ये शादी धोखाधड़ी से की गई.

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि शादी से पहले किसी बिमारी को छिपाना धोखा है. अदालत ने फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए 16 साल साल पुरानी एक शादी को भी खत्म करने का फैसला सुनाया. इस मामले में एक महिला ने अपनी मानसिक बीमारी के बारे में पति को नहीं बताया था. कोर्ट ने बीमारी को छिपाकर की गई शादी को धोखा करार दिया. अंग्रेजी अखबार हिंदू के मुताबिक न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की खंडपीठ ने कहा कि शख्स का जीवन बर्बाद हो गया है और वो बिना किसी संकल्प के 16 साल से इस रिश्ते में फंसा हुआ है.

हाईकोर्ट ने कहा, ‘शादी केवल सुखद यादों और अच्छे समय से नहीं बनती है, और एक शादी में दो लोगों को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे साथी के साथ रहना आसान नहीं है, जिसे मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं, और इस तरह की बीमारियां समस्या का सामना करने वाले व्यक्ति के लिए अपनी चुनौतियों के साथ आती हैं, और इससे भी ज्यादा जीवनसाथी के लिए.

याचिका में शख्स ने कहा कि उनकी शादी 10 दिसंबर, 2005 को हुई थी. उन्होंने आरोप लगाया ये शादी धोखाधड़ी से की गई. उनके मुताबिक ये धोखा महिला और उसके परिवार के सदस्यों द्वारा की गई थी. उन्हें महिला के मानसिक बीमारी के बारे में नहीं बताया गया था. उन्होंने दावा किया कि शादी से पहले महिला एक्यूट सिजोफ्रेनिया से पीड़ित थी. उसने दावा किया कि हनीमून के दौरान महिला ने बहुत असामान्य तरीके से व्यवहार किया. शख्स ने कोर्ट से कहा कि उसने महिला को कई डॉक्टरों को दिखाया था. वे सिज़ोफ्रेनिया से पीड़ित थी. उन्होंने कहा कि महिला शादी के नौ हफ्ते बाद ही 17 फरवरी 2006 से अपने माता-पिता के साथ रह रही है.

मेडिकल टेस्ट से इनकारहालांकि महिला ने दावा किया कि उसे कभी कोई मानसिक या शारीरिक बीमारी नहीं हुई है. कोर्ट ने उन्हें मेडिकल बोर्ड से जांच करवाने को कहा. लेकिन महिला ने मेडिकल टेस्ट कराने से भी इनकार कर दिया. बाद में अदालत ने कहा, “तथ्य ये है कि दोनों नौ सप्ताह से अधिक एक साथ नहीं रह सके. इससे ये दिखता है कि उन्हें कोई बीमारी है.’

सिरदर्द बीमारी के लक्षणपीठ ने कहा कि सिरदर्द- अपने आप में कोई बीमारी नहीं है ये केवल एक बीमारी के लक्षण हैं. महिला ने ये नहीं बताया कि किस वजह से उन्हें इतना गंभीर और लगातार सिरदर्द हुआ, जिसने उसे अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी. पीठ ने कहा मानसिक विकार से पीड़ित व्यक्ति के बच्चों पर भी इस असर पड़ सकता है. विवाह के करीब नौ सप्ताह बाद ही उसका पिता उसे अपने घर ले गया.

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News 18

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