भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने मंगलवार को कहा कि जूनियर अधिकारी से छेड़खानी करना एक न्यायाधीश के लिए स्वीकार्य आचरण नहीं है। मुख्य न्यायाधीश ने मध्य प्रदेश के एक सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।
शिकायतकर्ता न्यायाधीश ने अपनी याचिका में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ओर से अपने खिलाफ शुरू की गई अनुशासनात्मक कार्यवाही को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2020 में पूर्व जिला जज की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए अनुशासनात्मक कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रविंद्र श्रीवास्तव ने पूर्व न्यायाधीश द्वारा महिला अधिकारी को भेजे गए व्हाट्सएप मैसेज अदालत में पढ़े। श्रीवास्तव ने अदालत से कहा, 'खुद से जूनियर महिला अधिकारी के साथ उनका व्यवहार और अधिक उपयुक्त होना चाहिए था।'
'लाइव लॉ' की रिपोर्ट के अनुसार मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'एक जूनियर अधिकारी से छेड़खानी करना एक न्यायाधीश के लिए स्वीकार्य आचरण नहीं है।' मामले की सुनवाई तीन सदस्यी पीठ कर रही थी। पीठ में मुख्य न्यायाधीश के साथ न्यायाधीश एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम शामिल थे।
वहीं, पूर्व जिला न्यायाधीश की ओर से जिरह करते हुए वरिष्ठ न्यायाधीश आर बालासुब्रमण्यम ने अदालत को बताया कि उच्च न्यायालय की ओर से अनुशासनात्मक कार्यवाही जारी रखने योग्य नहीं है। क्योंकि, महिला अधिकारी पहले ही याचिकाकर्ता के खिलाफ अपनी शिकायत वापस ले चुकी है।
पीठ ने कहा, संभव है कि महिला ने शिकायत इसलिए वापस ली हो क्योंकि उसे शर्मिंदगी का भय हो। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यदि महिला अधिकारी ने अपनी शिकायत वापस ले ली है तो भी उच्च न्यायालय जांच आगे बढ़ाने के लिए बाध्य है। हमने व्हाट्सएप संदेशों को अनुचित पाया
Source ::
अमर उजाला
https://www.amarujala.com/amp/india-news/cji-bobde-on-mp-judge-accused-of-harassment-flirting-with-junior-unacceptable-conduct-for-a-judge