बॉम्बे हाईकोर्ट ( Bombay High Court) की औरंगाबाद बेंच ने एक अहम फैसले में उन धार्मिक वस्तुओं (Religious Items) की बिक्री पर रोक लगा दी, जो टेलीविजन विज्ञापनों (TV Advertisements) के जरिये चमत्कारी या अलौकिक शक्तियां होने का दावा करती हैं. लाइव लॉ (Live Law) के मुताबिक, जस्टिस तानाजी नलावडे और मुकुंद सेवलिकर की बेंच ने कहा कि इस तरह के विज्ञापन का प्रसारण करने वाला टीवी चैनल 'महाराष्ट्र प्रतिबंध, मानव बलि, अन्य अमानवीय, अघोरी प्रथा की रोकथाम और काला जादू कानून, 2013 के प्रावधानों के तहत उत्तरदायी होगा
हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) को निर्देश दिया है कि इस तरह के विज्ञापन बनाने वाले लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए. दरअसल, याचिकाकर्ता ने कहा था कि वह टीवी चैनलों पर विज्ञापनों के जरिये आए थे. विज्ञापन में प्रचारित किया जा रहा था कि हनुमान चालीसा यंत्र में विशेष, चमत्कारी और अलौकिक गुण थे. याचिकाकर्ता ने झूठा प्रचार करने वाले टीवी विज्ञापनों के प्रसारण को रोकने की मांग की थी. याचिका में कहा गया कि विज्ञापन का उद्देश्य सिर्फ यंत्र की बिक्री को बढ़ावा देना है ।
याचिका में तर्क दिया गया कि यह गलत प्रचार है. ऐसे विज्ञापनों को उन लोगों का शोषण करने के लिए बनाया जाता है, जो स्वभाव से अंधविश्वासी हैं. याचिकाकर्ता के मुताबिक, विज्ञापन में यह गलत प्रचार किया गया है कि यंत्र एक बाबा मंगलनाथ ने तैयार किया था, जिन्होंने सिद्धि हासिल कर ली थी. इसमें यह भी दावा किया जाता है कि बाबा के पास भगवान हनुमान का आशीर्वाद है. साथ ही इस विज्ञापन में कहा गया है कि यंत्र को घर पर लाना भगवान हनुमान को घर लाने जैसा है ।
हाई कोर्ट ने काले जादू अधिनियम की धारा-3 का जिक्र किया और टिप्पणी की है कि हनुमान चालीसा यंत्र को बेचकर लोगों से पैसे कमाना आसान है. बेंच ने कहा कि विज्ञापन में बताए गए गुण विशेष, चमत्कारी और अलौकिक हैं. वहीं, विक्रेता यह साबित नहीं कर सकता है कि वास्तव में यंत्र में वे सभी गुण हैं, जो विज्ञापन में बताए गए हैं. लिहाजा, विज्ञापन ही नहीं ऐसी सभी वस्तुओं की बिक्री पर भी रोक लगा दी गई ।
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News 18
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